क्वांटम कंप्यूटिंग: क्या यह आज के एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा? जानिए क्यों है ये इतनी खतरनाक!

क्वांटम कंप्यूटिंग: क्या यह आज के एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा? जानिए क्यों है ये इतनी खतरनाक!

क्वांटम कंप्यूटिंग एक ऐसी तकनीक है जो विज्ञान कथाओं से निकलकर अब हमारी हकीकत का हिस्सा बन रही है। इसकी चर्चा तो खूब होती है, लेकिन क्या आपको पता है कि यह हमारे आज के सबसे सुरक्षित एन्क्रिप्शन तरीकों को कैसे तोड़ सकता है? क्या हम क्वांटम कंप्यूटिंग के हमलों से सुरक्षित हैं? इस नई और शक्तिशाली तकनीक के पीछे का विज्ञान क्या है और इसके सुरक्षा निहितार्थ (security implications) क्या हैं, जिन पर अक्सर कम बात होती है? आइए, इन अनसुलझे सवालों के जवाब तलाशें।


 

क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है?

सामान्य कंप्यूटर बिट्स (bits) का उपयोग करते हैं, जो 0 या 1 की स्थिति में होते हैं। वहीं, क्वांटम कंप्यूटर क्यूबिट्स (qubits) का उपयोग करते हैं। क्यूबिट्स की दो अनोखी क्वांटम यांत्रिक विशेषताएं होती हैं:

  1. सुपरपोज़िशन (Superposition): एक क्यूबिट एक ही समय में 0, 1 या दोनों के संयोजन (combination) में हो सकता है। यह क्लासिकल बिट्स की तुलना में जानकारी को कहीं अधिक कुशलता से प्रोसेस करने की अनुमति देता है।
  2. एंटेंगलमेंट (Entanglement): दो या दो से अधिक क्यूबिट्स इस तरह से जुड़े हो सकते हैं कि एक क्यूबिट की स्थिति दूसरे की स्थिति पर तुरंत निर्भर करती है, भले ही वे कितनी भी दूर क्यों न हों। यह क्वांटम कंप्यूटरों को कुछ गणनाओं को एक साथ कई रास्तों से करने की शक्ति देता है।

इन विशेषताओं के कारण, क्वांटम कंप्यूटर कुछ जटिल समस्याओं को क्लासिकल कंप्यूटरों की तुलना में बहुत तेज़ी से हल कर सकते हैं, जिनमें आज के सबसे शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर भी सक्षम नहीं हैं।


 

क्यों है ये एन्क्रिप्शन के लिए खतरनाक?

क्वांटम कंप्यूटिंग: क्या यह आज के एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा? जानिए क्यों है ये इतनी खतरनाक!

आज की अधिकांश डिजिटल सुरक्षा, जिसमें आप ऑनलाइन बैंकिंग करते हैं, ईमेल भेजते हैं, या संवेदनशील डेटा संग्रहीत करते हैं, पब्लिक-की क्रिप्टोग्राफी (Public-Key Cryptography) पर निर्भर करती है। ये एन्क्रिप्शन तरीके उन गणितीय समस्याओं पर आधारित होते हैं जिन्हें क्लासिकल कंप्यूटर के लिए हल करना बेहद कठिन होता है। सबसे आम उदाहरण हैं:

  • RSA (Rivest–Shamir–Adleman): यह बड़े अभाज्य गुणनखंडों (prime factorization) को खोजने की कठिनाई पर आधारित है।
  • ECC (Elliptic Curve Cryptography): यह दीर्घवृत्तीय वक्रों (elliptic curves) पर असतत लघुगणक (discrete logarithms) की समस्या पर आधारित है।

क्वांटम कंप्यूटर के पास ऐसे एल्गोरिदम (जैसे शॉर्स एल्गोरिदम – Shor’s Algorithm) मौजूद हैं, जो इन गणितीय समस्याओं को अविश्वसनीय गति से हल कर सकते हैं। इसका मतलब है कि एक शक्तिशाली क्वांटम कंप्यूटर आसानी से उन एन्क्रिप्शन कुंजियों (encryption keys) को तोड़ सकता है जिन्हें आज के क्लासिकल कंप्यूटरों के लिए तोड़ना अरबों साल लेगा।

संभावित खतरे:

  • डेटा उल्लंघन: आपकी एन्क्रिप्टेड जानकारी (बैंक खाते, व्यक्तिगत डेटा, सरकारी रहस्य) जो आज सुरक्षित है, भविष्य में क्वांटम हमलों से उजागर हो सकती है।
  • सुरक्षित संचार का अंत: VPN, SSL/TLS (जो वेबसाइटों को सुरक्षित करते हैं), और अन्य सुरक्षित संचार प्रोटोकॉल अप्रभावी हो सकते हैं।
  • डिजिटल सिग्नेचर का समझौता: डिजिटल सिग्नेचर, जो ऑनलाइन लेनदेन की प्रामाणिकता (authenticity) सुनिश्चित करते हैं, को जाली बनाया जा सकता है।
  • ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी पर खतरा: कुछ क्रिप्टोकरेंसी (जैसे बिटकॉइन) भी उन्हीं क्रिप्टोग्राफिक सिद्धांतों पर निर्भर करती हैं।

 

क्या हम क्वांटम कंप्यूटिंग के हमलों से सुरक्षित हैं?

क्वांटम कंप्यूटिंग: क्या यह आज के एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा? जानिए क्यों है ये इतनी खतरनाक!

अभी तक, पूरी तरह से शक्तिशाली और त्रुटि-सहिष्णु (fault-tolerant) क्वांटम कंप्यूटर व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं जो आज के एन्क्रिप्शन को तोड़ने में सक्षम हों। अधिकांश क्वांटम कंप्यूटर अभी भी प्रायोगिक चरण में हैं, और उनकी क्यूबिट्स की संख्या और स्थिरता सीमित है।

हालांकि, सुरक्षा विशेषज्ञों को ‘हार्वेस्ट नाउ, डिक्रिप्ट लेटर’ (Harvest Now, Decrypt Later) नामक खतरे की चिंता है। इसका अर्थ है कि हमलावर आज एन्क्रिप्टेड डेटा को चुरा सकते हैं और उसे संग्रहीत कर सकते हैं, यह जानते हुए कि भविष्य में जब शक्तिशाली क्वांटम कंप्यूटर उपलब्ध होंगे, तो वे इसे डिक्रिप्ट कर पाएंगे। यह उन संवेदनशील डेटा के लिए एक बड़ा खतरा है जिनकी गोपनीयता लंबे समय तक बनाए रखने की आवश्यकता होती है (जैसे सरकारी रहस्य, स्वास्थ्य रिकॉर्ड, या बौद्धिक संपदा)।


 

समाधान क्या है? पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC)

 

क्वांटम खतरे का मुकाबला करने के लिए, दुनिया भर के क्रिप्टोग्राफर और अनुसंधानकर्ता पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (Post-Quantum Cryptography – PQC) नामक नए एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम विकसित कर रहे हैं। ये एल्गोरिदम ऐसे डिज़ाइन किए गए हैं जिन्हें क्लासिकल कंप्यूटर और क्वांटम कंप्यूटर दोनों के लिए तोड़ना मुश्किल हो।

राष्ट्रीय मानक और प्रौद्योगिकी संस्थान (NIST) जैसी संस्थाएं नए PQC एल्गोरिदम को मानकीकृत (standardize) करने के लिए काम कर रही हैं। कुछ प्रमुख PQC एल्गोरिदम प्रकारों में शामिल हैं:

  • लेटिस-आधारित क्रिप्टोग्राफी (Lattice-based cryptography): एक गणितीय संरचना पर आधारित जो क्वांटम हमलों के प्रति प्रतिरोधी मानी जाती है।
  • हैश-आधारित क्रिप्टोग्राफी (Hash-based cryptography): क्रिप्टोग्राफिक हैश फ़ंक्शंस का उपयोग करती है।
  • कोड-आधारित क्रिप्टोग्राफी (Code-based cryptography): त्रुटि-सुधार कोड पर आधारित।

कई बड़े प्रौद्योगिकी संगठन और सरकारें पहले ही PQC में संक्रमण (transition) की योजना बना रही हैं। यह एक जटिल और लंबी प्रक्रिया होगी, जिसमें दुनिया भर के सभी डिजिटल प्रणालियों और बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करना शामिल होगा।


 

भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग और सुरक्षा

 

भारत ने भी क्वांटम कंप्यूटिंग के महत्व को पहचाना है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (National Quantum Mission) शुरू किया है, जिसका लक्ष्य क्वांटम प्रौद्योगिकी के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है। इसमें क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम सेंसिंग और मैट्रोलॉजी जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

यह पहल भारत को भविष्य के साइबर खतरों से निपटने और एक सुरक्षित डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाने में मदद करेगी। भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियर भी PQC एल्गोरिदम के विकास में योगदान दे रहे हैं।


 

निष्कर्ष

 

क्वांटम कंप्यूटिंग एक दोधारी तलवार है। जहां यह अभूतपूर्व कम्प्यूटेशनल शक्ति प्रदान कर सकती है जो विज्ञान, चिकित्सा और AI जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है, वहीं यह हमारी वर्तमान डिजिटल सुरक्षा को भी गंभीर खतरा पहुंचाती है। यह सिर्फ एक तकनीकी चुनौती नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक आर्थिक चुनौती है।

हालांकि, घबराने की जरूरत नहीं है। दुनिया भर के विशेषज्ञ इस खतरे को गंभीरता से ले रहे हैं और पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी जैसे समाधानों पर तेजी से काम कर रहे हैं। आने वाले वर्षों में, सरकारों, व्यवसायों और व्यक्तियों को अपनी डिजिटल संपत्तियों को भविष्य के क्वांटम हमलों से बचाने के लिए सक्रिय रूप से PQC में अपग्रेड करना होगा। क्वांटम कंप्यूटिंग का उदय हमें एक ऐसे भविष्य के लिए तैयार होने के लिए मजबूर कर रहा है जहां सुरक्षा के नए नियम लागू होंगे।

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